छत्तीसगढ़ मे नगरीय जनसंख्या की प्रवृत्ति

(एक आर्थिक एवं भौगोलिक अध्ययन)

 

डाॅ. अर्चना सेठी

 

संविदा व्याख्याता (अर्थशास्त्र) पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर

 

 

सार-संक्षेपः

राज्य के नगरीय जनसंख्या वृद्धि के अध्ययन से स्पश्ट होता है कि नगरों की संख्या, उनके आकार में परिवर्तन एवं नगरीय जनसंख्या की वृद्धि का प्रतिशत अंतर में असमानता है। अर्थात् नगरीकरण का स्वरूप असंतुलित है। स्वतंत्रता पूर्व नगरीय जनसंख्या वृद्धि की गति मंद रही किन्तु स्वतंत्रता के पश्चात् औद्योगिकरण में वृद्धि नगरों का विकास, अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन रोजगार के कारण नगरों में जनसंख्या का संकेन्द्रण बढ़ा है। इसके अतिरिक्त राज्य में भारी संख्या में उद्योगों एवं व्यापारिक प्रतिश्ठानों की स्थापना, उनके ग्रामीण बस्तियों का नगरीय दर्जा प्राप्त करना एवं नये-नये नगरों का निर्माण के साथ उनके आकार में भारी वृद्धि करना है। इससे राज्य के नगरीय जनसंख्या एवं भागौलिक, आर्थिक एवं सामाजिक क्रियाओं को बल मिलेगा जिससे छत्तीसगढ़ राज्य विकास की दिशा को प्राप्त कर सकेगा।

 

ज्ञमल ूतकेरू औद्योगिकरणए नगरीकरणए श्रेणी क्रम

 

इतिहास इस बात की साक्षी है कि यहाॅं आज से सहस्त्रों वर्श पूर्व नगरों का अस्तित्व था। ये प्राचीन नगर व्यापार, उद्योग तथा प्रशासनिक कार्यो के केन्द्र थे। आज भी ये नगर देश की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के ध्वजवाहक है। नगरीय जनसंख्या में वृद्धि का मुख्य कारण औद्योगिक क्रांति है। किसी क्षेत्र में नगर तंत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानव के सभी आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृति एवं राजनैतिक क्रियाकलापों को मात्र प्रभावित ही नहीं वरन् कुछ सीमा तक नियंत्रित भी करती है। औद्योगिक केन्द्रों में रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से इन केन्द्रों की तरफ जनसंख्या में वृद्धि हुई है। यही नहीं नगरों में रोजगार के साथ-साथ शिक्षा स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं एवं कार्य संबंधी उत्तम समाज कल्याण आदि की उपलब्धता ने भी नगरों के तरफ जनसंख्या को आकर्शित किया, जिससे नगरों की जनसंख्यायें दिन प्रतिदिन वृद्धि होती गई।

 

अध्ययन का क्षेत्रः-

प्रस्तुत शोध प्रपत्र छत्तीसगढ़ के नगरीय जनसंख्या में वृद्धि की प्रवृृत्ति से संबंधित है। इसमें जिले को इकाई मानकर दशाब्दि वृद्धि को भी अध्ययन किया गया। राज्य का विस्तार 17ह्46‘ उत्तरी आक्षांश से 24ह्6‘ उत्तरी अक्षांश तथा 80ह्15‘ पूर्वी देशान्तर से 84ह्20‘ पूर्वी देशान्तर है। इसका क्षेत्र 135191 वर्ग कि.मी. है। यहाॅं 16 जिले, 97 तहसील, 146 विकासखण्ड, 84 नगर एवं 20308 गाॅंव सम्मिलित है। भारत के कुल क्षेत्रफल का 4.11 क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्गत आता है।

 

अध्ययन का उद्देश्यः-

शोध का मुख्य उद्देश्य राज्य के कुल जनसंख्या में नगर जनसंख्या की वृद्धि को स्पश्ट करना है। इसके अतिरिक्त श्रेणी क्रम के अनुसार नगरों की संख्या उनके आकार एवं प्रतिशत में अंतर वृद्धि के कारणों का अध्ययन भी एक उद्देश्य है। नगरीय जनसंख्या में विभिन्न समय में होने वाली वृद्धि का आकलन करना है। औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के बीच संबंध स्पश्ट करना भी उद्देश्य है।

 

शोध प्रविधि:-

प्रस्तुत अध्ययन द्वितीयक आकड़ों पर आधारित है। भारत की जनगणना 2001 छत्तीसगढ़ जनसंख्या के अंतिम आकड़ों से संकलित किया गया है। इसमें नगरीय जनसंख्या को मापने की सर्वाधिक प्रचलित विधि प्रतिशत्मान है इसमें कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत ज्ञात कर छायाविधि मानचित्र से विश्लेशित करने का एक प्रयास है।

 

छत्तीसगढ़ नगरीय जनसंख्या की प्रवृत्तिः-

बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में प्रदेश की नगरीय जनसंख्या मात्र 128600 थी, जो 2001 में ग्यारह गुना बढ़कर लगभग 4175329 हो गई। प्रदेश में नगरीय जनसंख्या वृद्धि दर एक दशक से दूसरे दशक में भिन्न - भिन्न रही। इसी तरह भारत में भी नगरीय जनसंख्या में वृद्धि होती रही। 1991-11 के दशक में राज्य की नगरीय जनसंख्या में 8.15 हृास हुआ। लेकिन 1931 के बाद नगरीय जनसंख्या में वृद्धि दर क्रमशः बढ़ती गई और अंतिम जनगणना दशक अर्थात् 1991-2001 में उच्चतम 20.08  हो गई। किन्तु भारत में यह वृद्धि दर राज्य की तुलना में अधिक रहा, जो कि तालिका क्रमांक 01 से स्पश्ट है। अतः यह कहा जा सकता है कि राज्य की नगरीय जनसंख्या में वृद्धि देश से कम होने का मुख्य कारण कृशि प्रधान राज्य का होना है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ की 20.08 जनसंख्या नगरों में निवास करता है। तथा भारत की 27.78 जनसंख्या नगरीय है।

 

नगरीय जनसंख्या वृद्धि का प्रादेशिक वितरणः-

राज्य में क्षेत्रीय स्तर पर भी नगरीय जनसंख्या वृद्धि प्रतिरूप में पर्याप्त विभन्नता मिलती है। 2001 की जनगणनानुसार नगरीय जनसंख्या की प्रतिशत के आधार पर दुर्ग राज्य का सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या वाला जिला है। इसमें नगरीय जनसंख्या 38.10 है, जबकि कम नगरीय जनसंख्या वाला जिला जशपुर 4.63 है। इसी प्रकार भारत में सबसे अधिक नगरीय जनसंख्या गोवा राज्य का है, जहां राज्य की 49.77 जनसंख्या नगरों में निवास करती है। जबकि सबसे कम नगरीय जनसंख्या मात्र 9.79 हिमांचल प्रदेश में निवास करती है। इसे अध्ययन की दृश्टि से निम्न वर्गो में विभाजित किया गया है।

1.        उच्च वृद्धि के क्षेत्र (30 से अधिक):

इसमें राज्य के उन क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है, जिनकी नगरीय जनसंख्या में वृद्धि का प्रतिशत सर्वाधिक है। इसमें मुख्यतः तीन जिले आते हैं - दुर्ग 31.10 कोरबा 36.26 एवं रायपुर 30.46 है। इन जिलों की जनसंख्या वृद्धि राज्य की औसत वृद्धि 20.8 से अधिक है। इसका कारण औद्योगीकरण, कोयला उत्खनन की अधिकता ही आकर्शण का केन्द्र रहा है।

 

2.        मध्यम वृद्धि के क्षेत्र (20 से 30):

इसके अंतर्गत वे जिले सम्मिलित है जहां की नगरीय जनसंख्या में वृद्धि 20 से 30 प्रतिशत के मध्य के मध्य हो। इसमें कोरिया 29.88 एवं बिलासपुर 24.16, केवल दो जिले हैं। यहाॅं मध्यम वृद्धि का कारण मुख्यतः लघु कुटीर उद्योग के साथ प्रशासकीय कार्यालयों की अधिकर्ता कोयला उत्खनन है।

 

 

 

तालिका 1रू नगरीय जनसंख्या में वृद्धि

वर्ष       कुल नगरीय जनसंख्या     कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या का:     दशकीय वृद्धि: में

          छत्तीसगढ़          भारत (मिलियन में)        छत्तीसगढ़          भारत    छत्तीसगढ़          भारत

1         2         3         4         5         6         7

1901

1911

1921

1931

1941

1951

1961

1971

1981

1991

2001     1,28,600

1,26,717

1,63,191

2,06,003

2,96,365

3,64,024

7,62,714

12,07,892

20,58,172

30,64,693

41,75,329         25,86

25.95

28.09

33.46

44.16

62.44

78.93

109.11

159.72

217.17

285.35   3.07

2.44

3.09

3.41

4.31

4.80

8.33

10.37

14.69

17.39

20.08    10.9

10.6

11.4

12.1

13.9

17.3

18.0

19.9

23.73

25.72

27.78    ..

1.46

28.78

26.23

42.89

23.67

109.52

58.37

70.39

48.90

36.24    ..

0.35

8.27

19.12

31.97

41.43

26.41

38.20

47.02

36.19

31.40

 

रेखाचित्र 1रू भारत एवं छत्तीसगढ़ में नगरीय जनसंख्या

 

 

तालिका क्रमांक 02रू छत्तीसगढ़ में नगरों की श्रेणीवार जनसंख्या पवृत्ति

नगरों की श्रेणी    जनसंख्या वर्ग     नगरों की संख्या   जनसंख्या का:

                    81        91        01        1981     1991     2001

प्

प्प्

प्प्प्

प्ट

टप्       1 लाख से अधिक

50 हजार से 1 लाख

20 हजार से 50 हजार

10 हजार से 20 हजार

5 हजार से 10 हजार

5 हजार से कम    3

7

6

23

10

1         5

6

12

35

23

2         7

5

20

32

20

-          49.34

22.70

8.09

15.91

3.78

0.18      53.11

13.87

10.91

16.16

5.70

0.25      63.03

8.94

13.17

11.12

3.74

-

कुल      50        83        84        100    100    100

स्रोत: भारत की जनगणना 2001 (छत्तीसगढ़ श्रंखला - 23)

 

तालिका क्रमांक 03रू नगरीय विकास की जिलेवार प्रवृत्ति

वर्ष       जिले का नाम      1991 ;ःद्ध       नगरीय जनसंख्या 2001     2001 ;ःद्ध       प्रतिशत अंतर

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

13

14

15

16        दुर्ग

कोरबा

रायपुर

कोरिया

बिलासपुर

राजनांदगांव

रायगढ़

धमतरी

महासमुंद

जांजगीर-चांपा

बस्तर

कवर्धा

दंतेवाड़ा

सरगुजा

कांकेर

जशपुर   35.27

19.55

24.19

33.10

20.90

18.63

12.89

14.69

9.69

10.69

9.90

6.68

5.18

5.40

3.78

3.92      1072309

366963

917618

174791

486694

231647

169456

93584

97680

145319

130011

44892

52012

137181

31385

34195    38.10

36.26

30.46

29.88

24.16

18.07

13.38

13.30

11.37

11.04

9.98

7.67

7.23

6.96

4.93

4.63      2.83

16.71

6.27

3.22

3.26

0.56

0.49

1.39

1.68

0.35

0.08

0.99

2.09

1.56

1.15

0.71

स््रोत: भारत की जनगणना  2001 (छत्तीसगढ़ श्रृंखला-23)

 

 

3.        निम्न वृद्धि के क्षेत्र (10.20)

राज्य के पांच जिले इसमें सम्मिलित है यहां राजनांदगाॅंव 18.07 रायगढ़, 18.88 धमतरी 13.30 महासमुंद 11.37 एवं जांजगीर-चांपा 11.04 जिले है। यहां कुटीर उद्योगों के साथ, डोलोमाइट का मण्डारण, कोसा उद्योग, जिंदल स्टील, पाॅवर प्लांट एवं कोयला उद्योगों का विकास है।

 

4.        अति निम्न वृद्धि के क्षेत्र (10 से कम):

इसके अंतर्गत राज्य के वे नगरीय क्षेत्र आतें हैं जहां नगरीय जनसंख्या में वृद्धि का प्रतिशत 10 से कम हो। इसमें 6 जिले बस्तर 9.98  कवर्धा 7.67 दंतेवाड़ा 7.23 सरगुजा 6.98 कांकेर 4.93 एवं जशपुर 4.63 सम्मिलित हैं। ये मुख्यतः आदिवासी बहुल पिछड़े हुए क्षेत्र हैं।

 

श्रेणी क्रम में नगरीय जनसंख्या की वृद्धि 1981-2001:

नगरीय जनसंख्या में वृद्धि को दो तरीके तात्कालिक रीति एवं सतत् रीति द्वारा निकाली जाती है। चूंकि जनगणना प्रकाशनों में तात्कालिक रीति का ही उपयोग होता है। सामान्यतः कहा जाता है कि बड़े नगर तेज गति से बढ़ते हैं और छोटे नगर मंद गति से। यही प्रवृत्ति छत्तीसगढ़ राज्य में भी पायी जाती है।

 

यहां कुल जनसंख्या के आकार के आधार पर देश का 17 वां बड़ा राज्य है वही कुल नगरीय जनसंख्या के अनुपात के आधार पर इसका स्थान 27 वां है। अर्थात् मध्यम आकार के 7 राज्यों - केरल, पंजाब, हरियाणा, झारखण्ड, उड़ीसा तथा असम में से सबसे कम नगरीय जनसंख्या 12.72 है, जबकि तीन नवनिर्मित राज्यों झारखण्ड, छत्तीसगढ़ एवं उत्तरांचल में सबसे कम नगरीय जनसंख्या 20.08 छत्तीसगढ़ में है।

 

तालिका 3 से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ के प्रथम श्रेणी के नगरों की संख्या एवं जनसंख्या में वृद्धि हुई है। अर्थात् 1981 में इस श्रेणी के 3 नगर थे जो 2001 में बढ़कर 7 हो गई। इस प्रकार तीन दशकों में यहां की नगरीय जनसंख्या 16, 15, 929 हो गई। अतः इन तीन दशकों में चतुर्थ एवं पंचम श्रेणी के नगरों में परिवर्तन मिलता है जिससे नगरीय जनसंख्या वृद्धि में परिवर्तन हुआ है। चतुर्थ एवं पंचम श्रेणी के नगरों में यह संख्या क्रमशः 1981 में 23 से बढ़कर 2001 में 32 10 नगर से बढ़कर 20 तक पहुंच गई है। इस प्रकार शश्ठम् नगरों में यह वृद्धि कम होकर 1981 में 1 नगर, 1991 में 2 नगर से घटकर 2001 में एक भी नगर नहीं आते। इस प्रकार कुल नगरों की संख्या में 1981 में 50 से बढ़कर 2001 में यह संख्या 84 तक पहुंच गई है। इस वृद्धि का मुख्य कारण रोजगार रोजगार उच्च शिक्षा के लिए ग्रामीण जनसंख्या का नगरों की तरफ पलायन करना है और बड़े शहरों के अत्यधिक विकासोन्मुख होने के कारण तीव्र औद्योगीकरण, आर्थिक विकास एवं विभिन्न नगरीय जनोपयोगी सेवाओं की वृद्धि को है।

 

1. उच्च वृद्धि के क्षेत्र:

इसमें राज्य के उन जिलों को शामिल किया गया है जिसमें जनसंख्या वृद्धि दर सर्वाधिक 19 से अधिक है। इसमें सरगुजा, कोरबा और धमतरी जिले आते हैं।

2. मध्यम वृद्धि के क्षेत्र: (16 से 19 तक)

इसमें राज्य के उन जिलों को शामिल किया गया है जिनमें जनसंख्या वृद्धि दर मध्यम 16 से 19 तक है। इसमें कोरिया, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, राजनांदगाॅंव, रायपुर, दुर्ग, कांकेर, बस्तर, नारायणपुर आदि आते हैं।

 

3. निम्न वृद्धि के क्षेत्र:

इसमें राज्य के कवर्धा, जशपुर, महासमुंद, बीजापुर, दंतेवाड़ा जिला आता है। इसे जनसंख्या वृद्धि दर 16 से कम है।

 

 

मानचित्र 1रू छत्तीसगढ़ में नगरीय जनसंख्य

 

 

 

छत्तीसगढ़ में नगरीय जनसंख्या वृद्धि की जिलेवार प्रवृत्ति - (1991-2001)

किसी भी क्षेत्र में नगर तंत्र प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से मानव की आर्थिक सामाजिक संस्कृतिक एवं राजनैतिक गतिविधियों को नियंत्रित करता है। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में रायपुर, दुर्ग, कोरबा जिले में नगरीय जनसंख्या वृद्धि सर्वाधिक 30 से अधिक रही है, जिसमें से कोरबा ही वह जिला है जहां जनसंख्या वृद्धि भी अधिक है- इसका कारण कोरबा जिले की तीव्रगति से औद्योगिकरण होना है। ऊर्जा के प्रमुख केन्द्रों की स्थापना की गई है। गत दशक में भी यहां तीव्र विकास हुआ है। यहां नगरीकरण 30 से अधिक है। बस्तर, कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, सरगुजा, जशपुर, कवर्धा वह जिले हैं, जहां नगरीयकरण निम्न है। इसका कारण इस क्षेत्र का वनांचल, नक्सल के कारण औद्योगिकरण की निम्न गति है। यहां नगरीयकरण 10 से कम है।

 

शेश जिलों कोरिया, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, महासमुंद, राजनांदगाॅंव में नगरीकीय मध्यम है 10 से 30 है। ये जिले विकास की ओर अग्रसर है यहां सामाजिक, आर्थिक विकास मध्यम होने के कारण नगरीय विकास की गति मध्यम रहा है।

 

सराशतः कहा जा सकता है कि प्रदेश में नगरों की संस्था उनके आकार में परिवर्तन नगरीय जनसंख्या में तीव्रगति से वृद्धि हुई है। किन्तु यह वृद्धि असंतुलित रही है। विकास की प्रवृत्ति सभी क्षेत्रों में आसमान रही है।

 

नगरीय जनसंख्या में वृद्धि द्वितीय तृतीय श्रेणी के नगरों में अधिक हुई है। नगरीय विकास की प्रवृत्ति कुछ जिलों में विशेषकर विकसित जिलों में तीव्र पिछड़े जिलों में मंद रही है। नगरीय विकास मुख्यतः औद्योगीकीकरण में वृद्धि, नगरों का विकास, उत्तम शिक्षा, स्वास्थ्य परिवहन रोजगार के कारण नगरों का संकेन्द्रण बढ़ा है। इसके अतिरिक्त उद्योगों एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों की स्थापना ग्रामीण बस्तियों को नगरीय दर्ज दिए जाने नए नगरों का निर्माण आदि है।

 

संदर्भ ग्रंथरू

1.        अग्रवाल, भीषम एवं श्रीवास्तव, अनुराधाः‘‘मध्यप्रदेश में नगरीय विकास की प्रवृत्ति: एक भागौलिक अध्ययन, रिसर्च लिंग, वर्श टप्प् ;1द्ध पूर्णांक - 48, मार्च 2008

2.        गोपाल, सीमा:‘‘मध्यप्रदेश में शहरीकरण की प्रवृत्ति एवं स्वास्थ्य‘‘ अप्रकाशित शोध ग्रंथ अर्थ शास्त्र विभाग, बरकत्उल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल।

3.        शिवहरे, जे.पी. एवं यादव, आर.एन.:‘‘छत्तीसगढ़ के नगरीय जनसंख्या में वृद्धि की प्रवृत्ति‘‘ - एक भागौलिक अध्ययन ‘‘शोधपत्र, रिसर्च लिंक, अंक मार्च - मई 2006 - पृ. क्र. 66-65

4.        सिंह, सुनील कुमार एवं पाठक गणेश कुमारः ‘‘नगरीय जनसंख्या वृद्धि बदलती प्रवृत्तियां एवं समस्याएं‘‘ योजना, जुलाई - 2003

5.        यादव, आर. एन.:‘‘मध्यप्रदेश में नगरीय विकास का प्रतिरूप‘‘: पी.एच.डी. अप्रकाशित 2002

6.        भारत की जनगणना 2001ःछत्तीसगढ़ श्रृंखला 23

7.        जनसंख्या में अंतिम आंकड़े 2001 का पेपर, निर्देशक जनगणना कार्य।

 

 

 

 

Received on 17.08.2011

Accepted on 12.09.2011     

© A&V Publication all right reserved

Research J.  Humanities and Social Sciences. 2(3): July-Sept., 2011, 115-118